Panchachuli desh lyrics | पंचाचूली देश

"पंचाचुली देश" गीत के बोलों और भाव का चित्रण
"पंचाचुली देश" एक प्रसिद्ध कुमाऊँनी/उत्तराखंडी गीत है, जिसमें अपने पहाड़, नदियाँ, और जन-जीवन के प्रति गहरा प्रेम और जुड़ाव झलकता है। आपके द्वारा दिये गए बोल गीत के मुख्य भावों को उभारते हैं—अपनी जन्मभूमि हिमालय की सुंदरता, प्रवास के दर्द, और अपनेपन की गहरी भावनाएँ।
गीत के प्रमुख भाव और अर्थ
हिमाली हावा सुरूरू, बगन्या पानी तुरुरू
यहाँ हिमालय की ठंडी, ताजगीभरी हवा और पहाड़ी झरनों के मीठे पानी का जिक्र है, जो पहाड़ की शुद्धता और ताजगी का प्रतीक है।
तिमी हैमी नैसी जूँला, पंचाचूली देश गुरुरू...
'हम और तुम, मिलकर'—यानी अपनों का साथ और पंचाचुली देश पर गर्व है।
आसमानी तारा टिमटिम टिमटिम, हिमाली डाणा सफेद,
आसमान में टिमटिमाते तारे और बर्फ से ढके हिमालयी शिखरों का दृश्य, जो प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है।
हिमाल हमरी जनमभूमि, मरण होलो परदेश...
पहाड़ को अपनी जन्मभूमि मानना व दर्द है कि मृत्यु कहीं परदेश में हो सकती है (प्रवासी जीवन का भाव).
काली गंगा कल-कल, गोरी गंगा छल-छल, छूटी गयो घरबार…
अपनी क्षेत्रीय पवित्र नदियाँ—काली गंगा और गोरी गंगा—का उल्लेख और उनसे बिछड़ने का दुख।
आँसू ढलकी ढल, सुख दुख जिंदगी को, संग संग कांटूलो
पहाड़ छोड़ने के दुःख में बहते आँसू, और जीवन के सुख-दुख को साथ निभाने का भाव।
आधा तिमी, आधा हैमी, हिटी जूँलो बाटो
प्रवासियों और अपनों की साझा यात्रा—आधा तुम, आधा हम—सब मिलकर जीवन की राह तय करते हैं।
सांस्कृतिक महत्व
यह गीत पहाड़ से गहरे जुड़ाव, Nostalgia, और प्रवास के दर्द की जीवंत अभिव्यक्ति है। स्थानीय बोली, जीवन के ठेठ अनुभव, और प्राकृतिक परिवेश की महिमा इस गीत में बखूबी निखरती है।
पंचाचुली और आसपास की प्रकृति, नदी, हवा, सफेद शिखर, और जीवन के उतार-चढ़ाव, सब मिलकर इसे उत्तराखंड के प्रवासी और स्थायी लोगों के दिल की गहराइयों से जोड़ देता है।
Lyrics
हिमाली हावा सुरूरू,
बगन्या पानी तुरुरू
हिमाली हावा सुरूरू,
बगन्या पानी तुरुरू
तिमी हैमी नैसी जूँला
पंचाचूली देश गुरुरू,
पंचाचूली देश गुरुरू…
आसमानी तारा टिमटिम टिमटिम,
हिमाली डाणा सफेद,
हिमाल हमरी जनमभूमि,
मरण होलो परदेश…
काली गंगा कल कल,
गोरी गंगा छल
छूटी गयो घरबार,
आँसू ढलकी ढल
सुख दुख ज़िन्दगी को,
संग संग कांटूलो,
आधा तिमी, आधा हैमी,
हिटी जूँलो बाटो
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